अक्सर जब भी हम देश की राजनीति या संविधान की बात करते हैं तो उसमें चौथा स्तंभ मीडिया को माना जाता है. लेकिन बदलते समय के साथ मीडिया बिकाऊ हो चुका है. जहां हर तरफ पैसों की राजनीति हो रही है, वही गंदगी अब मीडिया में भी आ चुकी है. आज के तत्कालीन समय में हम देखें तो भारत की 70% से 80% मीडिया हाउस देश में सिर्फ और सिर्फ भड़काऊ या झूठी खबर दिखा रही है. जहां एक तरफ माना जाता है कि मीडिया के लिए कोई खबर छोटी या बड़ी नहीं होती, कोई धर्म छोटा या बड़ा नहीं होता, मीडिया के लिए हर एक तबका, हर एक समाज, हर एक धर्म बराबर होते है और मीडिया सिर्फ समाज की भलाई और सच्चाई दिखाने के लिए जानी जाती है. किंतु आज ऐसा वक्त आ गया है कि हमारे देश की मीडिया समाज में सिर्फ और सिर्फ जहर उगलने, झूठी खबरें दिखाने का काम कर रही है और वो भी खासकर बहुसंख्यक हिंदू समाज के विरुद्ध.
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बीते दिनों दिल्ली में प्रेम प्रसंग मामले में एक हिंदू युवक की हत्या मुस्लिमों द्वारा कर दी गई थी :
अगर आपको जानकारी हो तो हाल ही में बीते दिन राजधानी दिल्ली में एक 18 साल के मासूम को पीट-पीटकर मार दिया गया था, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह मुस्लिम समाज की एक लड़की से प्यार करता था. आपको बता दें कि मोहम्मद अफरोज और मोहम्मद राज ने अपने साथियों के साथ मिलकर 18 वर्ष के राहुल की बेरहमी से पीट पीट कर हत्या कर दी थी. खबर के अनुसार आरोपित मुस्लिम युवक अफरोज को अपनी 16 साल की नाबालिक बहन के एक हिंदू युवक राहुल के साथ प्रेम प्रसंग पर आपत्ति थी और सिर्फ इसीलिए इस वारदात को अंजाम दिया गया. अब आते हैं अहम मुद्दे पर जिस पर आज हमारे खबर की टैगलाइन है इस घटना के बाद तमाम बड़ी मीडिया ग्रुप्स ने खबर प्रकाशित की किंतु खबर के मूल तथ्यों को छिपा दिया. आपको बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे और आज तक जैसी बड़ी-बड़ी समाचार एजेंसियों ने इस पर खबर प्रकाशित की. किंतु अपनी हेड लाइन में इन एजेंसियों ने आरोपियों की पहचान को आगे नहीं रखा, ना ही हत्या की असल वजह को बताया और ना ही मृतक की पहचान बताई गई.
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार इन समाचार एजेंसियों ने नहीं किया है, अगर हम तीन-चार वर्ष पहले की बात करें तो ऐसी हरकत सिर्फ द हिंदू, एनडीटीवी, बिबिसी जैसी समाचार एजेंसी ही किया करती थी. लेकिन अब इस लिस्ट में और भी समाचार एजेंसियां शामिल हो गई है. हंसी तो तब आती है जब किसी अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति की हत्या या उत्पीड़न जैसे मामले सामने आते हैं तो यह समाचार एजेंसियों हर जरूरी से जरूरी तथ्यों को समाज के सामने रखती हैं, भले ही उन तथ्यों से समाज में दंगे जैसी स्थिति ही क्यों ना उत्पन हो जाए. किंतु जब वही बहुसंख्यक व्यक्ति की हत्या होती है तब यह समाचार एजेंसीया खबरों की हेडलाइन को ही बदल देती है और तथ्यों को तोड़ मरोड़ के समाज के सामने पेश करती हैं.
इंडिया टुडे खबरों की हेडलाइंस बदलने में और झूठी खबर दिखाने में लगातार कीर्तिमान स्थापित कर रहा है:
आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते दिन दिल्ली में 18 वर्ष के हिंदू युवक की हत्या पर इंडिया टुडे ने खबर प्रकाशित की और अपनी खबर की हैडलाइन में इंडिया टुडे ने लिखा कि मरने वाला व्यक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र था, जिसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, इसकी वजह थी एक लड़की की दोस्ती. अब आप खुद सोचिए इस हेड लाइन में ना तो लड़के का धर्म बताया गया और ना ही हत्या करने वाले व्यक्ति के मजहब के बारे में जानकारी दी गई, साथ ही साथ इस प्रेम प्रसंग को दोस्ती का नाम बता दिया गया.
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चलिए कुछ देर के लिए मान लेते हैं कि इंडिया टुडे ने खबर की हैडलाइन सिर्फ इसलिए बदली ताकि समाज में दंगे जैसी स्थिति ना उत्पन्न हो और भाईचारा बना रहे. किंतु यह सारी बातें झूठी और धुंधली साबित हो जाती है, जब हम इंडिया टुडे के 2019 के जून के महीने में झारखंड में स्थित खारसवान जिले वाली खबर पर नजर डालते हैं. जहां एक युवक को बुरी तरह पीट-पीटकर मार दिया गया था, इस खबर में इंडिया टुडे के हेड लाइन में मजहब भी था और पिटाई की तथाकथित वजह भी और साथ ही साथ खबर को पूरे तथ्यों के साथ पेश किया गया था. अब यह समझ पाना मुश्किल है कि दो अलग-अलग समाज के लिए अलग-अलग हेडलाइन क्यूं ?
इंडियन एक्सप्रेस का भी रंग पहचान ले जो मजहब के आधार पर खबर की हेडलाइन देता है :
अब बात करते हैं इंडियन एक्सप्रेस की जो कि देश का एक जाना माना समाचार एजेंसी है, यह समाचार एजेंसी भी खबरों की हेडलाइंस के साथ धर्म और मजहब देखकर खेलता है. आपको बता दें कि दिल्ली में 18 साल के हिंदू छात्र के हत्या मामले पर इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की. आपको जानकर हैरानी होगी कि इंडियन एक्सप्रेस ने इंडिया टुडे से एक कदम आगे बढ़कर इस घटना में मृतक को छात्र तक भी नहीं बताया और शीर्षक में लिखा गया "किल्ड ओवर ओमेन" यानी महिला की वजह से हत्या. अब यहां महिला कौन थी, हत्या करने वाला कौन था और जिसकी हत्या हुई वह कौन था इसके बारे में किसी भी तरह की हेड लाइन में जानकारी नहीं दी गई.
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अब चलिए हम फिर से एक बार इंडियान एक्सप्रेस के लिए भी मान लेते हैं कि समाज में भाईचारे का सद्भाव देखते हुए ऐसी हैडलाइन दी होगी, किंतु जब हम इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर साल 2018 के अप्रैल महीने में झारखंड के गुमला जिले स्थित सोसो गांव की बात करते हैं जहां एक युवक की तीन युवकों ने हत्या कर दी थी. तब इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर की हेड लाइन में मजहब बताया था, साथ ही साथ इंडियान एक्सप्रेस ने घटना का कारण भी बताया कि एक नाबालिग लड़की से रिश्ते के चलते अन्य मजहब के युवक की हत्या कर दी गई थी.
हिंदुस्तान टाइम्स भी ऐसी घटिया हरकत करने में पीछे नहीं रहा :
ऐसा ही हाल कुछ हिंदुस्तान टाइम्स का भी रहा जिसने अपनी खबर के शीर्षक में राहुल की हत्या के बारे में हेड लाइन देते हुए लिखा कि उसकी हत्या लड़की के परिजनों ने की, जिससे उसका संबंध था. यहां भी खबर के मूल तथ्यों को छिपाया गया कि हत्या करने वाले कौन थे और किस मजहब के थे. लेकिन वही जब हम साल 2018 के मई महीने में राजस्थान के बीकानेर जिले में घटित घटना पर नजर डालते हैं, जहां एक युवक की हत्या कर दी गई थी. तो उस खबर में हिंदुस्तान टाइम्स ने मरने वाले युवक का मजहब, मारने वालों का धर्म और यहां तक की खबर के तथ्यों की पूर्ण जानकारी दी थी. अब भगवान ही जाने यह दोगलापन धर्म और मजहब के आधार पर यह समाचार एजेंसीया कहां से लाती हैं.
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पहले भी धर्म के नाम पर इन समाचार एजेंसियों ने अपने खबर की हेड लाइन के साथ खेल खेला है :
बीते 2 वर्ष पहले भी अंकित सक्सेना के हत्या वाली घटना में इंडिया टुडे ने हत्या पर पर्दा डालने की कोशिश की थी. अगर आपको याद हो तो अंकित सक्सेना को उसकी प्रेमिका शहज़ादी के परिवार वालों ने सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि मुस्लिम लड़की का परिवार इनके रिश्ते से नाराज था. आपको बता दें कि 2018 की उस घटना में शहज़ादी की मां ने अपनी स्कूटी से धक्का देकर अंकित को गिराया था जिसके बाद शहजादी के पिता ने अंकित के गले को चाकू से रेत डाला था. उस वक्त भी "इंडिया टुडे" ने हेडलाइंस में धर्म और नाम छिपाने की कोशिश की थी.
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अगर आपको याद हो तो बीते कुछ वर्ष पहले चंदन गुप्ता नाम के एक नौजवान युवक की हत्या 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर तिरंगा यात्रा के दौरान कर दी गई थी. इस खबर में भी इन तमाम समाचार एजेंसियों ने अपनी प्रकाशित खबरों में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर रखने का प्रयास किया था. उस वक्त भी आज कि दिल्ली की खबर की तरह खबर कि हेडलाइन में यह स्पष्ट नहीं बताया गया था कि जिसकी हत्या हुई वह कौन था और हत्यारे कौन थे और उनका नाम क्या था ? ये इंडिया टुडे, एनडीटीवी, इंडियन एक्सप्रेस और अन्य जैसे चैनल एक एजेंडे पर चलते हैं जिसमें यह टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन करते हैं और देश को तोड़ने वाली रिपोर्टिंग और राजनीति करते हैं.
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