आज तक ने रिपोर्टिंग की साड़ी घटिया हदें पार की राजस्थान में पुजारी की हत्या को बताया आत्मदाह पढ़े रिपोर्ट

जैसा की आप सबको पता है बीते दिन राजस्थान के करौली स्थित बुकना गांव में एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया जिसमें एक पुजारी को 5 लोगों ने पेट्रोल छिट कर जिंदा जला कर मार दिया. आपको बता दें कि यह घटना जमीन विवाद के कारण अंजाम दी गई. जिसके बाद पुजारी के परिवार सहित उनके समर्थन में हजारों की संख्या में लोग राजस्थान की तत्कालीन कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे. पुजारी के परिवार ने सरकार का विरोध करते हुए मुआवजे, एक सरकारी नौकरी और अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की.

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हाथरस के बाद राजस्थान के करौली वाले घटना में भी आजतक ने की निंदनीय रिपोर्टिंग :

आप सबको पता है बीते कुछ दिनों से हाथरस का मुद्दा काफी गर्म था, हाथरस के मुद्दे में तमाम मीडिया चैनल्स ने हर तरह की झूठी मनगढ़ंत कहानी फैलाने की कोशिश की. अगर आपको याद हो तो "इंडिया टुडे" के स्वामित्व वाले हिंदी समाचार चैनल "आज तक" ने हाथरस पर हर तरह की वह निंदनीय हरकत की जो एक मीडिया चैनल को नहीं करनी चाहिए थी और शायद यही कारण रहा कि हाथरस में आज तक की सीनियर पत्रकार श्वेता सिंह को आज तक मुर्दाबाद के नारे सुनने पड़े. अब फिर से एक बार आजतक ने अपना वही रंग दिखाते हुए राजस्थान की इस घटना पर गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसका इल्जाम डाल दिया. इसके अलावा समाचार चैनल ने इस घटना पर झूठी पत्रकारिता करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि मंदिर के पुजारी की हत्या नहीं की गई थी, बल्कि पुजारी ने खुद आत्मदाह करके खुद को जलाया था.

आपको बता दें कि इस घटना को लेकर राजस्थान के करौली गांव से आज तक पर एक संवाददाता रिपोर्टिंग कर रहा था और उसी बीच संवाददाता पुजारी की घर की ओर इशारे इशारा करते हुए कहता है कि, "यह पीएम मोदी के आवास योजना के पीछे का कड़वा सच है". आजतक का संवाददाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगलते हुए अपना हमला जारी रखता है और कहता है कि, "झोपड़ी की बदहाल स्थिति की वजह से पुजारी ने आत्मदाह किया था". साथ ही साथ रिपोर्टर कहता है कि, "यह संभव लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास योजना के तहत सभी को उचित आवास उपलब्ध कराने का सपना कभी सच होगा."

राजस्थान के पुजारी को जिंदा जलाने की घटना पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है आज तक:

आज तक की रिपोर्टिंग देखकर ऐसा महसूस होता है कि कहीं ना कहीं इस घटना पर "इंडिया टुडे" का चैनल "आज तक" कहीं ना कहीं राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार तथा कांग्रेस को बचाने का प्रयास कर रहा है और शायद यही कारण है कि हाथरस से लेकर राजस्थान के करौली गांव तक "आज तक" की झूठी रिपोर्टिंग बंद नहीं हो रही है.

आपको बता दें कि आजतक का रिपोर्टर एक डिबेट के दौरान भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर से उनके कर्तव्यों को लेकर सवाल करता है. आजतक का रिपोर्टर राज्यवर्धन सिंह से पूछता है कि, "क्या यह भाजपा और केंद्र की जिम्मेदारी नहीं है कि वह प्रत्येक नागरिक को उचित घर प्रदान करें". साथ ही साथ आजतक का रिपोर्टर यह सवाल करते हुए इस घटना का निष्कर्ष निकाल कहता है कि अगर पुजारी को भाजपा सरकार द्वारा रहने के लिए एक उचित घर मुहैया कराया गया होता तो आज पुजारी नहीं मरता. साफ तौर पर आज तक के रिपोर्टर की रिपोर्टिंग देखकर पता चलता है कि वह इस घटना की आड़ में कांग्रेस को बचाना और जनता को गुमराह कर रहा है.

आपको बता दें कि इंडिया टुडे के लिए यह निंदनीय हरकत कोई नई बात नहीं है. बल्कि इससे पहले भी इंडिया टुडे ने अपनी निंदनीय पत्रकारिता के जरिए अपना एजेंडा बढ़ाने की कोशिश करता रहा है. हाल ही में इंडिया टुडे का टीआरपी घोटाले में भी नाम उजागर हुआ है जहां इंडिया टुडे चैनल को देखने के लिए लोगों को रिश्वत देने का आरोप है.

बीते दिन 18 वर्षीय राहुल की क्रुर हत्या में भी इंडिया टुडे ने कि झूठी रिपोर्टिंग :

दिल्ली के आदर्श नगर में मुस्लिम समुदाय की युवती से प्रेम प्रसंग के मामले में 18 वर्षीय दलित युवक राहुल की क्रुर हत्या में "इंडिया टुडे" तथा इसी के चैनल "आज तक" ने इससे प्रेम प्रसंग की बजाए दोस्ती बताया और हर एक पहलू का विवरण देने की कोशिश की. किंतु हर बार की तरह इस बार भी बड़ी शातिर तरीके से इंडिया टुडे और आज तक ने अपनी हेड लाइन में आरोपियों का नाम और धर्म उजागर करना भूल गया और इस घटना में किसी तरह के प्रेम संबंध का उल्लेख ना करते हुए इसे दोस्ती करार दे दिया, ताकि अंतर धार्मिक प्रेम संबंध का विवरण देने से बचा जा सके. वहीं अगर यह घटना किसी बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय पर की गई होती तो "इंडिया टुडे" और "आज तक" मोटे मोटे अक्षरों में बहुसंख्यक समुदाय का धर्म और नाम उजागर करता.

अंकित सक्सेना वाले केस में भी इंडिया टुडे ने की थी झूठी रिपोर्टिंग :

बीते 2 वर्ष पहले भी अंकित सक्सेना के हत्या वाली घटना में इंडिया टुडे ने हत्या पर पर्दा डालने की कोशिश की थी. अगर आपको याद हो तो अंकित सक्सेना को उसकी प्रेमिका शहज़ादी के परिवार वालों ने सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि मुस्लिम लड़की का परिवार इनके रिश्ते से नाराज था. आपको बता दें कि 2018 की उस घटना में शहज़ादी की मां ने अपनी स्कूटी से धक्का देकर अंकित को गिराया था जिसके बाद शहजादी के पिता ने अंकित के गले को चाकू से रेत डाला था. उस वक्त भी "इंडिया टुडे" ने हेडलाइंस में धर्म और नाम छिपाने की कोशिश की थी. ये इंडिया टुडे एनडीटीवी जैसे चैनल एक एजेंडे पर चलते हैं जिसमें यह टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन करते हैं और देश को तोड़ने वाली रिपोर्टिंग और राजनीति करते हैं.

 

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